आजकालक हालात पर शेरदा 'अनपढ' ज्यूक एक भौते भलि कविता मिलि सबनाक लिजि भेट
तुम भया ग्वाव गुसें।
हम भया निकाव गुसें॥
तुम सुख में लोटी रया।
हम दुख में पोती रया॥
तुम हरी काकड़ जस।
हम सुकी लाकड़ जस॥
तुम आजाद छोड़ी जती।
हम गोठ्यायी बाकार जस॥
तुम सिंघासन भै रया।
हम घर घाट है भै रया॥
तुम स्वर्ग, हम नर्क।
धरती में, धरती आसमानौ फर्क॥
तुमरि थाइन सुनक रवाट।
हमरि थाइन ट्वाटै-ट्वाट॥
तुम ढड़ुवे चार खुश।
हम जिबाइ भितेर मुस॥
तुम तड़क भड़क में।
हम बीच सड़क में॥
तुमरि कुड़ि छाजि रै।
हमरि कुड़ि बाँजि रै॥
तुमार गाउन घ्यूंकि तौहाड़।
हमार गाउन आसुँक तौहाड़॥
हमूल फिरंगी ग्वार भजाय।
तुमूल हमार छ्वार भजाय॥
तुम बेमानिक रवाट खांनया।
हम ईमानक ज्वात खांनया॥
तुम पेट फुलूण में लागा।
हम पीड़ लुकूण में लागा॥
तुम समाजक इज्जतदार।
हम समाजक भेड़ गंवार॥
तुम मरी लै ज्यून् भया।
हम ज्यूणैजी मरी भया॥
तुम मुलुक कैं मारण में छां।
हम मुलुक में मरण में छां॥
तुमूल मौक पा सुनुक महल बणै दीं।
हमूल मौक पा गर्धन चड़ैदीं॥
लोग कूनी ऐक्कै मैक च्याल छां,
तुम और हम।
अरे! हम भारत मैक छां,
तुम साव कैक छा॥
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कुछ साथियों ने कहा हिन्दी में अनुवाद कर दो. ज्यों का त्यों तो नहीं, लेकिन भाव हिन्दी में रखा है.
तुम सुख में मस्त,
हम दुख में पस्त.
तुम हरी ककडी जैसे,
हम सूखी लकड़ी जैसे.
तुम छूटे अराजक सांड जैसे,
हम बाड में बंद बकरी जैसे.
तुम सिंहासन में बैठे हो,
हम अपने घर भी खो बैठे हैं.
तुम स्वर्ग, हम नर्क,
धरती में धरती, आसमान में फर्क.
तुम्हारी थाली में सोने की रोटी,
हमारी थाली में छेद ही छेद.
तुम तड़क भड़क में,
हम बीच सड़क में.
तुम्हारा मकान सजा है,
हमारा घर बंजर है.
आपके गले में घी की धार,
हमारे गले में आंसू की धार.
हमने फिरंगी अंग्रेज भगाए,
तुमने हमारे बच्चे भगाए.
तुम बेइमानी की रोटी खा रहे हो,
हम ईमानदारी के जूते खा रहे हैं.
तुम पेट फुलाने में लगे,
हम पीडा़ छुपाने में लगे.
तुम समाज के इज्जतदार,
हम समाज के भेड़ गंवार.
तुम मर के भी जिन्दा,
हम जिंदा रहकर भी मरे हुए.
तुम देश को मार रहे हो,
हम देश पर मर रहे हैं.
तुम्हें मौका मिला तो सोने के महल बना दिए,
हमें मौका मिला तो अपनी गर्दन चढा दी.
लोग कहते हैं कि एक ही मां के बेटे हैं-
तुम और हम।
अरे! हम भारत मां के हैं
तुम किसके हो!
*चारू तिवाड़ी.....*