बानर और पधान ज्यु
पधान ज्यु यो बानर पहाड़ बटि कब हराल।
पली बटी यो आँखा देखि डरछी।
ढुंग दिखाते ही चार गाड़ दूर मिलछी।
बाड़ घटा पन कम उजाड़ करछी।
पत् न काबे इनर इदु दांग ऐ गई।
यस लागडो देशक सबे बानर पहाड़ ऐ गेई।
अब तो यु हमर चुलम तक पोसी गई।
बाघ हबे ले ज़ायद खूंखार हे गई।
जे देखड़ रेइ वी लीजाणि।
नी दीणा बुंगाहा आणि।
अब तो बानर हकाण ले एक काम हे गो।
परवारक एक जड़ियोक रोजगार हे गो।
ठुल छोड़ो नानथिनाक ले टेमपास हे गो।
रुडी असोज चौमास अब सदाबहार हे गो।
लट्ठ गुलेल ढुंग मेसुल आपुण पटागण में धर रेई।
बानर ले बड़ होसियार उले मोके इन्तेजार करण रेई।
दिन तो छोड़ो रात ले ताक में भे रेई।
नेताओ दगड़ क्रिकेटक आनंद ले लीण रेइ।
यस बात नहे पधान ज्यु यो विषय में गंभीर नहे।
केवल डोइ बानरुक लीजि उनर पा रोजगार नहे।
पधान ज्यु ले मजबूर बानर उनर बसम ले नहे।
अल्बेर चुनावो में यो विषय ले रोल।
वरना पधान ज्यु के सब राम राम कौल।